Photo Bulletin – September 2023
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संकलन आणि संपादन – जान्हवी काळे

 बच्चों के अभिभावकों ने ली महीने की फीस की जिम्मेदारी(ठणठण )

पायल , अंजली , प्रशांत

ठनठन सेंटर एक साल पहले शुरू हुआ है।  और इस एक साल के दौरान हमने किसी भी बच्चे से फीस नहीं ली है। एक साल के बाद, हम देख रहे थे कि बेडे पर बच्चों के शिक्षा के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है। [read_more id=”1″ more=”Read more” less=”Read less”]

,  हमने सोचा की सभी बच्चों के अभिभावक (पेरेंट्स) को फ़ीस के रूप में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करेंगे तो सभी की स्कुल के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ेगी और बच्चों के लिए साधन भी जुटा पाएंगे। । हमें खुशी हुई कि समुदाय के ज्यादातर लोग फीस देने के लिए तैयारी दर्शाई। लेकिन फिर एक प्रश्न आया कि क्या सभी लोग वाकई फीस देंगे? हम तीनों शिक्षा-साथियों ने मिलकर सोचा की  हम अभिभावक सभा में सभी से इस विषय पर बात करेंगे। । लेकिन स्कुल शुरू होने के बाद पिछले दो महीनों में  हमने चार-पांच बार पैरेंट्स मीटिंग का आयोजन करने का प्रयास किया लेकिन कोई भी मीटिंग सफल नहीं हुई। जुलाई महीने की फीस के बारे में हमने हर घर में जाकर बात की। कुछ लोगों ने अच्छा प्रतिसाद दिया लेकिन कुछ लोगों का प्रतिसाद बिल्कुल विरुद्ध था! फीस क्यों ली जा रही है? हमारे पास सरकारी स्कूल होने के बावजूद फीस क्यों मांगी जा रही है? इत्यादि इत्यादि। हमने एक महीने की फीस कलेक्ट करने के लिए घर-घर जाने का प्रयास किया। लेकिन बहुत प्रयास  के बाद ही कुछ फीस कलेक्ट हो सकी, और कुछ बच्चों की फीस अभी भी नहीं आई थी। तब हमने उन बच्चों की फीस कलेक्ट करने के लिए एक पेरेंट्स सभा बुलाई।

अभिभावक सभा के लिए कुछ पेरेंट्स नहीं आए। लेकिन फिर दूसरे दिन हमने  कि स्कूल के सामने ही एक छोटे से झाड़ के नीचे बेडे के 12-13 पैरेंट्स बैठे थे और वे चर्चा कर रहे थे। हम तीनों ने सोचा कि हमें इन पेरेंट्स के पास जाकर इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए। हालांकि हम डर रहे थे, क्योंकि हमारे मन में बहुत सारे प्रश्न थे। हमने सोचा कि हम उनसे क्या बोलेंगे? अगर वे हमें पूछेंगे की सरकारी स्कूल होने के बावजूद फीस क्यों मांग रहे हैं,  तो हम क्या जवाब देंगे? हम इस सवाल के साथ ही उनके  पास गए। हमने कुछ देर सभी से बात की।  उनके बच्चों के बारे में पूछा। उन्हें कुछ सवाल हो तो पूछने को बताया। साथ ही में उन्हें बताया कि बच्चों की फीस अभी तक पैसे नहीं जमा हुई है। 

हमारे लिए सुखद आश्चर्य की बात ये थी की हम जो सब सोच रहे थे ऐसा कोई सवाल उन्होंने नहीं पूछा। उन्होंने हमारे साथ बात की और हमसे बोले, “ मैडम आप सिर्फ सारे बच्चों की लिस्ट दे दो, हम सभी से फ़ीस जमा करके आपको देंगे, आपको घूमने की जरूरत नहीं। हमने उन्हें बच्चों की लिस्ट दे दी। कुछ ही समय बाद वे पैसे जमा करके हमें देने के लिए आए, और साथ ही में बेडे की   पेरेंट्स कमेटी बनाई। इस तरह से, हमारी पहली मीटिंग सफल हो गई।[/read_more]

समुदाय क साथ मिलकर मनाया स्वतंत्रता दिवस ( सोनखांब

 – निलेश ढोके
मैं और स्कूल के छात्र 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की तैयारी कर रहे थे। इस दिन का महत्व समझते हुए, तयारी के लिए मैंने स्कूल के समुदाय के प्रत्येक सदस्य को एक महत्वपूर्ण बैठक के लिए बुलाया। [read_more id=”1″ more=”Read more” less=”Read less”]
इस बैठक में हमने 15 अगस्त के महत्व को बताया और सभी को इसके आयोजन की योजना बनाने में शामिल किया। हमने स्कूल के कार्यक्रमों की पूरी योजना तैयार की और बच्चोंके अभिभावकों को बताया कि कैसे वे इस उत्सव के आयोजन में सहयोग कर सकते हैं। सभी अभिभावकों ने जिम्मेदारी से इस कार्यक्रम के बारे में सोचा और योजना बनाई। जैसे रघु दादा ने बताया कि हम स्कूल के परिसर में उगने वाली घास को काटकर सजावट कर सकते हैं। उन्होंने समुदाय के सभी पुरुषों से मदद मांगी और सब ने स्कूल के सामने इकट्ठा होकर काम किया। घास को काटकर सुंदर तरीके से सजाया गया। इसके अलावा, जल्लू दीदी, रतन दीदी, अमृत दीदी, और अन्य महिलाएं खाने की व्यवस्था के लिए संगठित हुई और समुदाय के हर घर से पैसे इकट्ठा किए। उन्होंने 15 अगस्त के लिए आवश्यक सामग्रियों की सूची तैयार की और इसे खरीदने का जिम्मेदारी ली।
सभी बच्चों को 15 अगस्त के भाषण और झंडा गीत की अभ्यास कराया गया। यह सुनिश्चित किया गया की इस महत्वपूर्ण दिन के लिए सभी बच्चे तैयार हैं । 15 अगस्त के कार्यक्रम में समुदाय के सभी  सदस्यों ने भाग लिया और उन्होंने इस उत्सव को अद्भुत बनाया। सभी के योगदान को सम्मान दिया गया और उसे सरलता से संपन्न किया गया। इस वर्ष के 15 अगस्त का कार्यक्रम ने समुदाय में एक अद्वितीय और स्मरणीय दिन को बनाया, जो हमें हमेशा याद रहेगा।[/read_more]
स्कूल की पहली अभिभावक बैठक(बोथली )

प्रतीक्षा ,जनक
लंबे समय से हमने अभिभावक सभा आयोजित करने का निर्णय लिया था, लेकिन दिन-प्रतिदिन हमें यह सोचना पड़ता था कि क्या आज पेरेंट्स मीटिंग होगी? कभी पेरेंट्स नहीं पहुंचे थे और कभी स्कूल के काम की वजह से मीटिंग कैंसिल हो जाती थी[read_more id=”1″ more=”Read more” less=”Read less”]

। इस दौरान, सेंटर के हम दोनों शिक्षा साथी ने मिलकर यह सोचा कि अब हमें माता-पिता को कैसे समझना होगा और हमने जान्हवी ताई से भी सलाह ली। 
29 तारीख को, हमने अभिभावक सभा आयोजित करने का निर्णय लिया। हमने जान्हवी ताई से भी आने का अनुरोध किया, और वे आयीं। साथ ही हमने सभी पेरेंट्स  को भी समय पर बैठक में आने के लिए कहा। अभिभावक सभा से पहले, जान्हवी ताई ने हमें बताया कि हमें अभिभावक सभा में किन मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए और पेरेंट्स को किन मुद्दों पर समझाना है।अभिभावक सभा  का समय 2:30 बजे निर्धारित किया गया था। सबसे पहले विट्ठल दादाजी ने अपनी उपस्थिति दर्ज की, और फिर सभी पेरेंट्स भी आए। इसके बाद अभिभावक सभा शुरू हुई, और हमने मुद्दों पर चर्चा की।
बच्चों के माता पिता को दो महीनों में बच्चों की प्रगति के बारे में जानकारी दी गई, और उनसे यह सवाल पूछा गया कि उनकी दृष्टि से बच्चों की और क्या प्रगति होनी चाहिए। विद्यालय की कुछ जिम्मेदारियां अभिभावकों को सौंपी गई, और इसे स्वीकार किया गया। अभिभावक सभा के अंत में, अभिभावकों से बैठक के बारे में पूछा गया, और उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक थी। इस तरह से, हमारी पहली पैरेंट मीटिंग बहुत ही सफल रही। [/read_more]
बच्चो क साथ मिलकर किया स्वातंत्र्य दिन आयोजन (UPAY Community learning Circle)

निशांत मेश्राम

बालसभा एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जो हमारे डे बोर्डिंग केंद्र पर प्रतिमाह होती है। इसमें हर महीने विभिन्न विषयों पर आधारित कार्यक्रम होता है, जो महीने के विशेष त्योहारों या दिनों के साथ जुड़ते हैं।[read_more id=”1″ more=”Read more” less=”Read less”]

जैसे की अगर पर्यावरण दिवस होता है, तो उस महीने का विषय पर्यावरण होता है। इसी तरह अगस्त में हमने छात्रों को स्वतंत्रता दिवस के महत्व को समझाने का कार्यक्रम आयोजित किया। हमने बच्चों के एक नाटिका प्रस्तुत करना तय किया जिसमें हमारे छात्र उन क्रांतिकारियों की भूमिका का निरूपण करेंगे जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए योगदान दिया। इसके माध्यम से, हम छात्रों को स्वतंत्रता दिवस के महत्व को समझा सकते थे। लेकिन यह नाटिका तैयार करने का काम कठिन हो सकता था, क्योंकि इसमें बड़े वाक्य शामिल थे।  छात्र इन वाक्यों को अच्छे से समझ पाए और ध्यान रख पाए इसलिए हमने छात्रों को इन क्रांतिकारियों के बारे में और जानकारी दी और पर्याप्त तालीम करवाई।

स्वतंत्रता दिवस के दिन के लिए हमें बच्चों को तैयार करना था, लेकिन छुट्टी के कारण हमारे पास समय की कमी थी। हमने सभी किरदारों के लिए कपड़े और सामग्री खोजना शुरू किया।  अंत में, हमने पांच-छह किरदारों का चयन किया, जिनमें से हमने केवल चार किरदार का कास्टिंग किया, जैसे कि भगत सिंह, झाँसी की रानी, महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस। लेकिन इस बार बच्चे अधिक आत्मविश्वासी थे, क्योंकि निधि ने उनकी पोशाकों को बहुत ध्यान से तैयार किया था। इसलिए हमें कोई चिंता नहीं थी। फिर ध्वजारोहण के कार्यक्रम का समय आया और हमने बच्चों को आगे ले गए , हालांकि हमें थोड़ी चिंता हुई। लेकिन हमेशा की तरह, बच्चे सही समय पर समझ गए। सौरदीप को भगत सिंह का किरदार दिया गया। वह अपने वाक्यों को बढ़िया तरीके से प्रस्तुत करता था, परन्तु जरूरत पड़ी तो दूसरों के भी वाक्य याद रखने में उसने मदद की।  जब वह संवाद करता तो वह केवल उन वाक्यों को कहता जो उस समय सबसे योग्य थे। भावना ने जैसे ही बोला, “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है,” दर्शकों की तालियां गूंज उठी। झांसी की रानी का किरदार कंचन कर रही थी। वह शांत आवाज़ में बहुत वीरता दिखा रही थी, और सुनने वालों को गर्व महसूस हुआ, क्योंकि वह झाँसी की रानी को बहुत अच्छी तरह प्रस्तुत कर रही थी। उन्होंने अपने किरदार को जीवंत और प्रेरणास्पद बना दिया।

मुख्य अतिथि ने बच्चों की प्रशंसा की और सेवा संस्थान के अन्य शिक्षकों और स्वयंसेवकों ने आज की बालसभा के स्वतंत्रता दिवस की सराहना की। साथ ही इन बच्चों के रूप में उपस्थित क्रांतिकारियों का सम्मान किया। [/read_more]

मानवी का बातें करना कैसे शुरू हुआ?(पारडसिंगा)

रेखा ,मोतीराम
यह है मानवी दावाले, हमारी छात्रा। गर्ल्स स्कूल में चौथी क्लास में पढ़ती है। मेरी साथी टीचर रेखा और मैंने कक्षा में निरीक्षण किया की  मानवी किसी भी टीचर से बातचीत नहीं करती और एक भी शब्द नहीं बोलती।[read_more id=”1″ more=”Read more” less=”Read less”]
लेकिन वह अपने दोस्तों के साथ बात करती थी और बोलती थी। वह कक्षा में हमेशा शांत रहती थी। मैंने उससे सवाल किया कि वह कभी बात क्यों नहीं करना चाहती। मुझे आश्चर्य हुआ कि यह लड़की ऐसी क्यों होगी और उसकी चुप्पी का कारण क्या होगा? हमने मानवी के माता-पिता  और उसके आंगनवाड़ी टीचर से भी बात की। हमें उसके माता-पिता से उसके बारे में कुछ जानकारी मिली। जब मानवी  एक प्राइवेट स्कूल में कक्षा 2 में थी  उस वक्त उसने  बाकी लड़कियों के साथ खूब मस्ती की।  तभी उस स्कूल में एक टीचर ने उसे यह कहकर बहुत पीटा कि वह बहुत मस्ती कर रही है।  उसके पैर पर बेंत के निशान पड़ गये। शिक्षिका मारती थी इसलिए , उसके माता-पिता ने उसे कक्षा  3 के लड़कियों के स्कूल में भेजने का फैसला किया।
आंगनवाड़ी की टीचर ने भी मुझे बताया कि वह हमेशा से ऐसे चुपचाप नहीं थी। वह बहुत खेलती थी, बातें करती थी और मौज-मस्ती करती थी। हम कुछ प्रयास करे तो उसमें एक अलग बदलाव देख सकते हैं। ऐसी जानकारी हमें आंगनवाड़ी ताई से मिली, तब हमें पता चला कि मानवी को क्या अच्छा लगता है।  और हम उससे सभी विषयों पर बात करते थे। हम उसके सामने स्कूल में हर किसी से पेड़ों, फूलों, रंगों, चित्रों, वीडियो, स्कूल, घरेलू मामलों, खाना पकाने, रहन-सहन, भोजन जैसी हर चीज़ के बारे में बातचीत करते थे। आख़िर 15 से 20 दिनों के बाद एक दिन उसने हमसे एक तस्वीर के बारे में बात की। हमें बताया कि उसे तस्वीरें, रंग, फूल, पेड़ पसंद हैं। फिर उसने हमसे एक शब्द में बात करना शुरू किया जैसे – हाँ या नहीं। फिर हमने उससे रंगों, चित्रों, फूलों आदि के बारे में बात करना शुरू कर दिया और मानवी अब हमसे वाक्यों में बात करने लगी और हमने फैसला किया कि अब हम शिक्षकों के प्रति उसके डर को खत्म कर देंगे।[/read_more]

                                     

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