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दिनांक १० सितंबर – सोनखांब – बेड़े के हरी भैय्या का बच्चो की शिक्षा में सहयोग करने हेतु बच्चो को उपहार। [read_more id=”1″ more=”Read more” less=”Read less”] किसी की एक छोटी दिखाई पड़ने वाली कृति भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। ऐसे ही हमारे हरी भैय्या है। बच्चे जब आपस में बात कर रहे थे की उनके पास स्कूल जाने के लिए टिफिन बॉक्स कम पड़ रहे है और उन्हें जरुरत है तब हरी भैय्या पास ही में खड़े थे। उन्होंने बच्चो को उनकी जरुरत का सामान देने का विचार किया। वह तुरंत पास ही के शहर में गए और टिफिन बॉक्स के साथ कुछ खेलने का सामान भी ले आये। बच्चो की शिक्षा की जिम्मेदारी जब अभिभावक लेने लगते है तब ज्यादा बड़ा बदलाव आता है। और लर्निंग कम्पॅनियन्स के तौर पर हमारा यही लक्ष्य है। [/read_more]
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दिनांक १६ सितंबर – आनंद निकेतन [नई तालीम समिति ] – गांधीजी की शिक्षा को लेकर विचार और संकल्पना से शुरू हुए आनंद निकेतन सेवाग्राम को हमारे फेलोज की भेंट । [read_more id=”1″ more=”Read more” less=”Read less”] नयी तालीम समिति की आनंद निकेतन की संकल्पना से हम परिचित हैं। यहाँ की पूरी शिक्षा पद्धति गांधीजी के विचारो से ही प्रेरित है। साथ ही यहाँ बच्चो को पारम्परिक शिक्षा के साथ उनके मूल्यों पर भी काम किया जाता है। इसी पद्धति का अनुभव करने के लिए हमारी पूरी टीम ने भेंट की। हमने यहाँ चलनेवाली पद्धति , गतिविधियां और बहुत सी बारीकियों को सीखा। लर्निंग कम्पॅनियन्स हमेशा से ही ऐसी जगहों को अनुभव करती है जो शिक्षा में सकारात्मक बदलाव लाने हेतु कार्य कर रहे हैं। [/read_more]
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दिनांक २३ सितंबर – लर्निंग कम्पॅनियन्स – “फेलोशिप के बाद भी हमारे बच्चो से हमारा जुड़ाव ” इस विषय पर Teach For India के सदस्यों का हमारे फेलोज के साथ संवाद सत्र। [read_more id=”1″ more=”Read more” less=”Read less”] हमारे कुछ फेलोज इस साल अपनी २ वर्षो की शिक्षा साथी फेलोशिप पूरी करने जा रहे है। परन्तु फेलोशिप के बाद भी बच्चो से जुड़ाव कायम रहे यह यह हमारे फेलोज की इच्छा है। इन सबमे जो फेलोज इस अनुभव से जा चुके है उनके साथ यदि संवाद करे तो बहुतसे प्रश्नो के उत्तर मिल पाएंगे इस विचार से Teach For India के फेलोज रह चुके नेहा, प्राप्ति और पूर्वा इनके साथ हमारे फेलोज ने बातचीत की। [/read_more]
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