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इस अवसर पर हमारे फेलोज ने उनके २ साल के सफर के बारे में बताया और साथ ही हमारे सभी शुभचिंतको ने इस अवसर पर सभी फेलो और संस्था के काम के बारे में अपनी भावनाएं व्यक्त की और सभी फेलोज को उनकी आगे की यात्रा के लिए शुभकामनाएं दी। [/read_more]
क्लासरूम में पढाई के साथ ही उनकी पारम्परिक और कौशल्यपूर्ण कलाओ के बारे में जानना और उन्हें सिखने की चाह रखना सिर्फ हमारे फेलोज और बच्च्चो के लिए ही नहीं बल्कि कम्युनिटी के लोगों के साथ कनेक्ट करने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
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हमारे फेलोज ने अपनी फेलोशिप कार्यकल के २ साल पुरे किये। इस दौरान बच्चों और फेलोज के बिच का जुड़ाव देखने को मिला, जिसकी वजह से बच्चों का मन नहीं था की उनके भैया लोग इस जगह को छोड़कर जाए। [/read_more]
छत्तीसग़ढ़ग के दंतेवाड़ा में स्थित यह स्कूल बच्चों को स्वतंत्रता और प्रयोगशील तरीके से शिक्षा देने पर काम करती है। [/read_more]
३० अप्रैल २०२२ – हमारे फेलोज अपने कम्युनिटी के स्थलांतरण होने के बाद भी बच्चो की पढाई के लिए वह जहां कहीं भी हो, पहुंच जाते हैं।
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भरवाड़ समाज पिछले कई दशकों से चारे की खोज में स्थलांतरन करता है। यह पढाई न होने की बड़ी वजहों में से यह भी एक है। गर्मी की छुट्टियों में स्कुल बंद हैं और बच्चे अपने परिवार के साथ घूम रहे हैं। परन्तु हमारे फेलोज बच्चों की पढाई में बाधा न हो इसलिए हफ्ते में एक बार उनका बेड़ा जहां कहीं भी हो वहां जाकर हफ्ते भर के पढाई के साधन, वर्कशीट देते हैं और दिनभर का क्लास लेकर आते हैं। [/read_more]
२५ अप्रैल २०२२- लर्निंग कंपॅनियंस – हमारे कोहॉर्ट २०२१-२२ का ३ री सम्पर्क कार्यशाला में शामिल हुए। यह कार्यशाला हर ३ महीने के बाद होती है जिसमें फेलोज आने वाले तिमाही/सत्र के लिए तैय्यार होते हैं।
स्नेहा चैरिटेबल ट्रस्ट कर्णाटक में एड्स बाधित और पीड़ित बच्चों के साथ स्वास्थ और शिक्षा के विषय में काम करती है। स्नेहाग्राम Learning Companions की तरह खुद एक फेलोशिप मॉडल पर पिछले एक साल से काम कर रहे हैं। इसी सिलसिले में संस्था के कार्यकर्ताओं को अनुभव के उद्देश्य से स्नेहाग्राम की भेंट हमारे कुही फाटा सेंटर को हुई। साथ ही ऑफिस में हमारे अन्य फेलोज और स्नेहाग्राम के साथियो के बिच शिक्षा को लेकर अनुभव और दोनों के अभी तक के प्रवास के बारे में बातचीत हुई।
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