संकलन आणि संपादन – निकिता देवासे
चक्रीघाट – सीखने का उत्साह
–नवीनता डोंगरे

मैं माली से पहली बार बेड़े में मिली था। माली तेरह साल की है और उसकी आंखों में सीखने की तीव्र इच्छा दिखाई देती थी। शुरूवात में, मैं प्री-प्राइमरी बच्चो को पढ़ा रहा थी, इसलिए वह मुझसे ज्यादा बात नहीं करती थी।
हम अक्सर उसके घर जाते थे, और वहां वह रोज़मर्रा के इस्तेमाल के प्रश्न मुझसे और कोमल दीदी से पूछती थी। हम उसे कहते थे, “तुम जब समय निकालोगी, हम तुम्हें सिखायेंगे।”
माली का दिन बहुत व्यस्त रहता है। सुबह उठकर घर के बर्तन धोना, फिर गायों को चारा देना, गोबर उठाना यह सब उसके पूरे दिन के काम हैं। कुछ दिनों से धीरे-धीरे परिस्थितियों में बदलाव दिख रहा है। अब वह पूरे दिन के काम के बावजूद दोपहर में समय निकालकर मेरे पास पढ़ने आती है। क्लास में वह अपने भाई-बहनों के साथ बैठती है।
वह भाषा और गणित सीखना चाहती है। वह हमेशा कहती है,
“मैडम, जब हम बाजार जाते हैं, तो मुझे गिनती आनी चाहिए। कितना सामान हुआ, कितने रुपये देने हैं, और कितने वापस लेने हैं।”
कभी-कभी वह पूछती है, “मैडम, क्या मैं कर पाऊंगी? क्या मुझे आएगा?”
तब मैं समझाती हूँ,
“माली, तुम्हें आ जाएगा। बस नियमित अभ्यास करती रहो।”
अब वह भाषा और गणित दोनों समझने लगी है। उसके कदम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं।
माली की मां भी अब कहने लगी हैं,
“मैडम, मेरी माली को अच्छे से पढ़ाना। वह घर पर भी पढ़ती है और होमवर्क करती है।”
यह सुनकर मुझे बहुत खुशी होती है। माता-पिता को मेरे काम का परिणाम दिख रहा है, कि मैं उसे कैसे पढ़ा रही हूँ और उसमें कितना बदलाव आ रहा है।
माली हमेशा पूछती है,
“मैडम, क्या मुझे आएगा? आज मैं कर पाई क्या?”
मैं हमेशा कहती हूँ,
“जितना अभ्यास करोगी, उतना ही तुम्हें आएगा।”
अब उसकी सीखने की लगन दिखाई देती है। वह कई शब्द पढ़ती है, नई बातें बताती है। अपनी किताब पढ़ना, कहानियाँ सुनना, शब्द लिखने का प्रयास ये सब वह खुद करती है। गणित का पूरा अभ्यास कर के दिखाती है। उसका यह प्रयास देखकर बहुत अच्छा लगता है। उसकी मेहनत से साफ दिख रहा है कि उसकी लगन उसे आगे जरूर ले जाएगी।
सोनखांब – सोनखांब सेंटर में TFI टीम की प्रेरक मुलाकात
-प्रीतम नेहारे

आज TFI टीम ने सोनखांब सेंटर का दौरा किया। हम सभी इस क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। सुबह से ही सेंटर में हलचल थी। बच्चों के चेहरे पर खुशी की चमक थी और हम सभी उन्हें मिलने के लिए उत्साहित थे।
समुदाय के बड़े बुजुर्ग और महिलाएं भी बहुत स्नेह और अपनापन दिखा रहे थे। बच्चों की शिक्षा और उनके आत्मविश्वास को देखना सभी की ईच्छा थी।
सारी तैयारी में रतन दीदी की भूमिका खास थी। आज उनके व्यक्तिगत महत्वपूर्ण काम होने के बावजूद, उन्होंने सेंटर में बच्चों और समुदाय के लिए पूरी मेहनत की। खाना बनाना, और उनकी व्यवस्था, सभी काम उन्होंने मन से किए। लाला ने स्वयं बासुंदी बनाई, और अजय ने TFI टीम के सामने अंग्रेज़ी की कहानी पढ़ी। केवल चौथी कक्षा का छात्र होने के बावजूद वह अंग्रेज़ी पढ़ सकता है। इस अनुभव का प्रभाव इतना अच्छा रहा कि उसने अब लाइब्रेरी से चार और किताबें पढ़ने के लिए ली हैं।
Tech for India की पूरी टीम का आना हमारे लिए बहुत बड़ी बात थी। शाहीन मिस्त्री, TFI संस्थापिका, ने समुदाय में सम्मान, प्यार और अपनापन अनुभव किया। TFI टीम से हमें बच्चों, समुदाय और खुद से नई चीजें सीखने को मिली।
सोनखांब सेंटर आने वाले लोग केवल मेहमान नहीं थे; वे सपनों को प्रोत्साहित करने वाले, प्रेरणा देने वाले और शिक्षा को नई दिशा दिखाने वाले साथी थे।
दिन खत्म हुआ, लेकिन उसका सौंदर्य हमारे मन में अभी भी ताज़ा है और शायद आने वाले कई वर्षों तक रहेगा।
बोथली – बच्चों की हंसी से भरी दिवाली
-रोहिणी कालभूत

भारवाड़ समाज एक ऐसा समाज है जो अपनी जिंदगी स्थलांतरण के माध्यम से जीता है। गायों की देखभाल और पानी व चारे की तलाश में यह समाज लगातार एक जगह से दूसरी जगह जाता रहता है।
इसलिए पूरे साल वे अधिकतर त्योहार नहीं मना पाते। इस बार हमने बच्चों के साथ दिवाली मनाने के लिए “दिवाली वीक सेलिब्रेशन” का आयोजन किया।
इस कार्यक्रम में सभी बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। दिवाली के सप्ताह में रोज़ नए कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जैसे रंगोली प्रतियोगिता, दीया सजाना, आकाश कंदील बनाना आदि। बच्चों का उत्साह वातावरण में एक अलग ऊर्जा लाता था। हर प्रतियोगिता में बच्चों ने पूरी लगन से भाग लिया। कुछ रंगोली के रंगों के साथ खेल रहे थे, कुछ दीयों को सजाने में लगे थे। उनके छोटे-छोटे हाथों से बनी चीजों में सृजनात्मकता और मासूम खुशी झलक रही थी।
सप्ताह के आखिरी दिन सभी प्रतियोगिताओं के पुरस्कार वितरित किए गए। बच्चों ने अपने स्कूलको रंग-बिरंगे रिबन और फूलों से सजाया। सभी ने नए और रंगीन कपड़े पहने। कार्यक्रम शुरू हुआ और सभी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। जिन्होंने दीया सजावट, आकाश कंदील और ड्रॉइंग प्रतियोगिता में उत्कृष्ट कार्य किया, उन्हें पुरस्कार दिए गए। बच्चों ने गाने गाए, नृत्य प्रस्तुत किया और अंत में स्वादिष्ट नाश्ता और मिठाई बांटी गई। इस तरह, इस साल की दिवाली बच्चों के साथ आनंद, रंग और उत्साह में मनाना मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा।
ठणठण – महाराज बाग का सफर
– पल्लवी शंभरकर

इस सप्ताह हमने बच्चों को एडवेंचर विज़िट के लिए बाहर ले जाने का निर्णय लिया। बेड़े के बच्चों के लिए घर से बाहर जाना आसान नहीं है। घर का काम और छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी होती है।
लेकिन सभी बच्चों को बाहर जाना था। मेरी क्लास में रिद्धि नाम की एक लड़की है, जो हमेशा उत्सुक रहती है, सीखने और कुछ नया देखने की इच्छा रखती है। वह हमेशा कहती थी,
“मैडम, मुझे महाराजबाग देखना है, चलो ना!”
इन शब्दों में उसकी मासूम उत्सुकता और बाहरी दुनिया को देखने की चाह दिखाई देती थी। मैं तय कर चुकी थी कि इस उत्साह को मैं मरने नहीं दूँगी।
एक दिन मैंने क्लास में पूछा, “महाराजबाग कौन-कौन जाएगा?” बच्चों ने उत्साहपूर्वक जवाब दिया। फिर मैंने कहा कि हम महाराजबाग जाएंगे, लेकिन केवल मैं उनके साथ रहूंगी। हमें माता-पिता से अनुमति लेनी होगी और टिकट का पैसा खुद लाना होगा। दो दिन में बच्चों ने पैसे जमा किए और फिर दिन तय हुआ।
जिस दिन महाराजबाग जाना था, सभी साफ कपड़ों में, चमकते चेहरे के साथ स्कूल के पास जमा हुए। जब हम महाराजबाग के गेट पर पहुँचे, रिद्धि के चेहरे पर खुशी बयां नहीं की जा सकती थी। यह केवल एक सफर नहीं था, बल्कि उन्होंने खुद के लिए एक निर्णय लिया था। और यह उनके असली सीखने की शुरुआत थी।
From Learning to Leading – हमारी इंटर्नशिप यात्रा
-निखिल, निकिता

हमारी इंटर्नशिप की शुरुआत बहुत ही उत्साहपूर्ण माहौल में हुई। शुरू में हमने इस प्रोग्राम का आकर्षक पोस्टर तैयार किया और सोशल मीडिया पर साझा किया।
फिर विभिन्न WhatsApp ग्रुप में इंटर्नशिप की जानकारी भेजकर अधिक से अधिक छात्रों तक पहुँचने की कोशिश की।
हमने कई कॉलेजों का दौरा किया, वहां बच्चों के लिए सत्र आयोजित किए और इस संवाद के माध्यम से बड़ी संख्या में रजिस्ट्रेशन हुई। छात्रों की बढ़ती प्रतिक्रिया ने हमें और प्रेरित किया।
इस इंटर्नशिप में हमने विभिन्न कौशलों पर काम किया, English Speaking, Data Course, व्यावहारिक अनुभव, Video Editing, Poster Making, बच्चों को पढ़ाना और समुदाय के साथ काम करना। हर सोमवार हमने Offline Internship Day आयोजित किया और इंटर्न्स को विभिन्न क्षेत्रों का प्रत्यक्ष अनुभव दिया।
English Speaking के लिए रोज़ छोटे-बड़े टास्क दिए और Speaking Club शुरू किया। इससे इंटर्न्स में अंग्रेज़ी बोलने का आत्मविश्वास बढ़ा, संकोच कम हुआ और डर धीरे-धीरे दूर हुआ।
Communication Skill सिखाने के लिए समय, नियमितता और अभ्यास आवश्यक है। इसलिए हमने खेल, मजेदार गतिविधियाँ और कार्यशालाओं के माध्यम से प्रभावी तरीके से Communication सिखाया। इससे सीखना आसान और आनंददायक हुआ।
इस तरह हमने अपनी पहली बैच को सफलतापूर्वक पूरा किया। वर्तमान में दो और बैच चल रहे हैं और अगले महीने चौथी बैच शुरू होने वाली है। हर बैच के साथ अधिक अनुभव, आत्मविश्वास और सीख मिली।
इस इंटर्नशिप से हमें नेतृत्व करने, किसी प्रोग्राम की योजना और कार्यान्वयन करने का मौका मिला। इस अनुभव से हमने Leadership, Decision-Making, Teamwork और Adaptability जैसी महत्वपूर्ण क्षमताओं का विकास किया। जैसे-जैसे इंटर्न्स नए कौशल सीख रहे हैं, वैसे-वैसे हमें भी अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास का अवसर मिल रहा है।